उदयपुर में जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ा रुझान

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सरकार की योजनाओं से किसानों को मिल रहा प्रत्यक्ष लाभ, सांसद डॉ. मन्नालाल रावत के सवाल पर केंद्र ने दी जानकारी
उदयपुर: उदयपुर सहित पूरे राजस्थान में प्राकृतिक और जैविक खेती के प्रति किसानों की रुचि तेजी से बढ़ रही है। इस दिशा में केंद्र सरकार की योजनाएं भी अहम भूमिका निभा रही हैं। मंगलवार को सांसद डॉ. मन्नालाल रावत के लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने यह जानकारी दी।
राज्य मंत्री ठाकुर ने बताया कि राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) के तहत राजस्थान में अब तक 2.25 लाख किसानों ने करीब 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती शुरू कर दी है। किसानों को दो वर्षों तक प्रति वर्ष प्रति एकड़ 4 हजार रुपए का आउटपुट आधारित प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत उदयपुर संसदीय क्षेत्र में किसानों का नामांकन जारी है और अब तक 11,250 किसान इससे जुड़ चुके हैं।
परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत वर्ष 2015-16 से किसानों को जैविक खेती के लिए सहायता दी जा रही है। इस योजना में किसानों को ऑन-फार्म और ऑफ-फार्म इनपुट्स के लिए तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपए की वित्तीय सहायता डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से दी जाती है। एक किसान अधिकतम दो हेक्टेयर तक सहायता प्राप्त कर सकता है।
उदयपुर में 750 से बढ़कर 2800 किसान जुड़े
मंत्री ने बताया कि उदयपुर संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2015-16 में जहां केवल 750 किसान पीकेवीवाई से जुड़े थे, वहीं 2025-26 तक इनकी संख्या 2800 तक पहुंच गई है। इसी तरह क्लस्टर की संख्या भी 15 से बढ़कर 70 हो गई है।
फिलहाल प्रोत्साहनों में बदलाव नहीं
सरकार ने स्पष्ट किया कि एनएमएनएफ और पीकेवीवाई के तहत किसानों को मिल रही मौजूदा वित्तीय सहायता में बदलाव का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। साथ ही, राजस्थान में अब तक 2.17 लाख किसानों द्वारा 1.485 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है। सरकार की इन योजनाओं से खेती में रसायनों पर निर्भरता कम हो रही है और किसान स्वस्थ, टिकाऊ और लाभदायक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।