पश्चिमी नजरिए से लिखा गया इतिहास, भारत को समझने की जरूरत: मोहन भागवत
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के कार्यक्रम में कहा कि आज जो इतिहास पढ़ाया जाता है, वह पूरी तरह पश्चिमी दृष्टिकोण से लिखा गया है, जिसमें भारत का असली स्वरूप गायब है। उन्होंने पाठ्यक्रमों में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत को उसके सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।भागवत ने कहा कि पश्चिमी किताबों में चीन और जापान का उल्लेख मिलता है, लेकिन भारत नहीं। उनका मानना है कि यह नजरिया भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान को नकारता है। उन्होंने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों का उदाहरण देते हुए कहा कि शांति की तमाम कोशिशों के बावजूद दुनिया आज भी तीसरे विश्व युद्ध को लेकर डरी हुई है। उन्होंने कहा, “अब दुनिया को एक नई दिशा की जरूरत है, जो केवल भारतीयता से ही मिल सकती है।RSS प्रमुख ने भौतिकवाद को दुनिया में अशांति, असंतोष और संघर्ष का कारण बताया। उन्होंने कहा कि विज्ञान और आर्थिक तरक्की के बावजूद लोगों के दुख दूर नहीं हुए हैं। विलासिता बढ़ी है, लेकिन मानसिक पीड़ा भी उतनी ही बढ़ी हैभागवत ने स्पष्ट किया कि भारतीयता सिर्फ नागरिकता नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन का हिस्सा मानता है। उन्होंने कहा कि इसी जीवनदृष्टि के चलते भारत कभी सबसे समृद्ध राष्ट्र था और आज भी दुनिया भारत की ओर उम्मीद से देख रही है।उन्होंने आत्ममंथन और सुधार की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि बदलाव की शुरुआत स्वयं और परिवार से होनी चाहिए।