संत मोरारी बापू कथा के दौरान हुए भावुक
बोले, जब मेरे चप्पल की पट्टी तक नहीं थी, तब प्रभु श्रीनाथजी की कृपा से मदन पालीवाल और भक्तों ने की थी बहुत मदद
नाथद्वारा, 26 जुलाई: डावोस, स्विट्ज़रलैंड में आयोजित शीतल संत मोरारी बापू की 960वीं रामकथा “मानस महामंत्र” के अंतर्गत भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ की सेवा का उल्लेख करते हुए बापू स्वयं भी भावुक हो उठे।
कथा के दौरान मोरारी बापू ने एक गहरा आत्मीय प्रसंग साझा करते हुए कहा, “जब मेरे चप्पल की पट्टी तक नहीं थी, तब प्रभु श्रीनाथजी की कृपा से मदन पालीवाल जी और अन्य भक्तों ने मेरी बहुत सेवा की।” इस आत्मस्वीकृति ने उपस्थित श्रोताओं के हृदय को छू लिया।
बापू ने इस भावप्रवण प्रसंग को गुजराती भाषा में संगीतबद्ध रूप में भी प्रस्तुत किया, जिससे वातावरण गूंज उठा और कथा स्थल पर गहन भावनात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। इस दौरान कथा में उपस्थित मिराज समूह के अध्यक्ष मदन पालीवाल और उनके निजी सचिव प्रवीण खंडेलवाल भी अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए और अश्रुपूरित हो गए। मोरारी बापू की इस कथा का समापन 27 जुलाई को होगा।